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कब्र के पास बैठकर पढ़ते हैं हरना उर्दू मध्य विद्यालय के छात्र-छात्रा

कब्र के पास बैठकर पढ़ते हैं हरना उर्दू मध्य विद्यालय के छात्र-छात्रा

मध्यान भोजन भी सड़क और कब्रिस्तान में ही 

295 छात्र, 1 से 8 तक वर्ग संचालन, 09 शिक्षक और दो कमरे

अल्पसंख्यक बच्चो के भविष्य के साथ  खिलवाड

मधुबनी,(बिहार):गुणवत्तापूर्ण और बुनियादी सुविधाओं के साथ शिक्षा देने की दौड़ में मधुबनी जिला के अंधराठाढ़ी प्रखंड स्थित हरना पंचायत का उत्क्रमित मध्य विद्यालय उर्दू कई सवाल खड़ा करता है। यहां के छात्र-छात्रा कब्रिस्तान में कब्र के पास बैठकर पढ़ते हैं। मध्यान भोजन करने भी कब्रिस्तान में कब्र के आसपास बैठ कर भोजन करते हैं। कुछ बच्चे सड़कों पर भोजन करते हैं तो कुछ मस्जिद व ईदगाह के मुख्य द्वार पर बैठकर मध्यान भोजन करते हैं। कारण वर्ग की कमी। यह व्यवस्था एक-दो दिनों से नहीं, बल्कि 18 वर्षों से चली आ रही है।वर्षा और धूप में हालात खराब रहती है। बारीश व तेज धूप या ठंडी के मौसम में बच्चों को घर वापस भेजना पड़ता है।जानकारी के अनुसार वर्ष 2006 में यह विद्यालय प्राइमरी से मिडिल स्कूल बन गया। प्राइमरी के समय में भी दो कमरा था और मिडिल स्कूल के बाद भी दो कमरे में ही स्कूल चल रहा है। 2014-15 में भवन निर्माण के लिए 7 लाख आया था, मगर जमीन की कमी के कारण पैसा वापस हो गया।विद्यालय के हेड मास्टर जगन्नाथ पासवान बताते हैं कि यहां दो कमरे हैं। इन दो कमरों में एक कमरा में किचन, मिडढेमिल का सामान व स्टोर।और रूम के बाद बचे हुए जगह में क्लास चलता है। दूसरे कमरे में कार्यालय, शिक्षकों के बैठने की जगह के बाद बचे हुए जगह में वर्ग संचालन किया जाता है। कभी यहां 400 से ज्यादा छात्र-छात्रा नामांकित थे, मगर दिक्कत के कारण नामांकित छात्रों की संख्या घटकर अब 295 हो गई है। विद्यालय में नौ शिक्षक शिक्षिकाएं पदस्थापित है। इन्हें भी बैठने में काफी दिक्कतें होती है। शिक्षक भी खुले में सड़कों पर और कब्रिस्तान में नीम के पेड़ के नीचे कुर्सी लगाकर बैठते हैं और वही बच्चों को पढ़ाते हैं। वर्ग एक के छात्र रोड पर बैठकर पढ़ ते हैं, वर्ग 2 और 3 के छात्र कब्रिस्तान में पेड़ के नीचे पढ़ ते हैं। वर्ग 4 के छात्र मस्जिद, ईदगाह के गेट पर पढ़ ते हैं, वर्ग 5 और 6 एक कमरे के स्टोर रूम के बाद बचे हुए जगह में पढ़ ते हैं, जबकि वर्ग 7 और 8 के छात्र-छात्रा दूसरे रूम में छोटे-छोटे बचे हुए जगह में किचन के सामानों के बीच बैठकर पढ़ ते हैं। भोजन बनाने की व्यवस्था संकरे बरामदे में की जाती है। बरामदे में भी बच्चे भी पढ़ते हैं जाहां गेस पर भोजन भी बनता है। शिक्षक सफीकुर रहमान कहते हैं कुछ दिनों में कब्रिस्तान की घेराबंदी हो जाएगी तो फिर बच्चों को सड़क के अलावा कोई दूसरा जगह नहीं रह जाएगा।टीचर मोहम्मद इसराइल ने बताया कि मस्जिद की जमीन में स्कूल बना हुआ है। दूसरा कोई जमीन अब तक उपलब्ध नहीं है।स्कूल का समय 9:00 बजे से 4:00 बजे तक रहता है। कड़ी धूप के कारण छात्र-छात्राओं को काफी दिक्कत होती है। खास बात यह है कि तीन महिला शिक्षिका है और शौचालय नहीं है। अगल-बगल के आवासीय परिसर में ही शौचालय के लिए इन शिक्षकों को जाना पड़ता है। प्रखंड में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए मात्र दो मिडिल स्कूल है। एक जमैला में और दूसरा हरना गांव में। इसी गांव में एक दूसरा विद्यालय भी है,नया प्राथमिक विद्यालय खोब्रा टोल। जहां जमीन है मगर भवन नहीं बना है। 150 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं, शिक्षक 6 है। वर्ष 2006 से ही किसी के निजी दलान पर यह स्कूल अभी तक चल रहा है।

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