विकास और मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है चिकनी कोना गांव
दूषित पानी पीने को मजबूर है स्कूली बच्चे
यहां के स्थानीय बच्चों के लिए सिर्फ एक विद्यालय है वहां भी बच्चे अपनी मजबूरी और सरकार की उदासीनता का दंश झेल रहे हैं। गांव में सिर्फ एक प्राथमिक विद्यालय है, जहां 35 बच्चों को पढ़ाने प्रतिदिन 3 शिक्षक आते हैं। 2003 में इस विद्यालय की स्थापना हुई थी लेकिन तब से अभी तक 20 वर्षों में इस विद्यालय में पानी की व्यवस्था नहीं की गई । बच्चे अपने घरों से बोतल में पानी भर कर पढ़ाई करने आते हैं, और जब उनके बोतल का पानी खत्म हो जाता है तो वे नदी का दूषित जल पीने पर मजबूर हो जाते हैं। विद्यालय के बगल में ही एक छोटा नाला है, जिसके पास चुआरी खोदकर वहां का पानी बच्चे पीते भी है और वही अपना बर्तन भी साफ करते हैं। विद्यालय का खाना भी इसी दूषित जल से बनाया जाता है और गंदे बर्तन भी वही धोए जाते हैं। विद्यालय में बच्चों की कम संख्या को देखकर शिक्षकों से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया की यहां बच्चे अक्सर बीमारी के कारण विद्यालय नहीं आ पाते हैं, निरीक्षण के दौरान भी एक बच्चे के पेट में दर्द होने के कारण उसे छुट्टी देकर घर भेजा गया। इसके संबंध में विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि गर्मी के दिनों में यह वाली भी सूख जाता है जिसके बाद बच्चे गर्मी की चिलचिलाती धूप में 2 से 3 किलोमीटर दूर अपने घर जाकर पानी लाते हैं, जिसमें उनके पढ़ाई के दौरान घंटों उनका समय बर्बाद होता हैं। इस संबंध में कई बार विभाग को कहा गया है लेकिन अभी तक इस संबंध में सुधार की कोई पहल नहीं की गई है।