सुनें असहाय की पुकार! फूस की झोपड़ी में सर्द हवाओं के बीच जीवन गुजार रहा आदिवासी परिवार
तिरपाल से बनी झोपड़ी में जीवन बीता रहे रंजय व उनकी पत्नी-बच्चे
मामले की जानकारी के बावजूद उदासीन बने हुए हैं जिम्मेवार लोग
कहीं से मदद नहीं मिली तो खुद बना रहे मिट्टी का घर :
रंजय खेती और थोड़ी बहुत मजदूरी करता है इससे होने वाली आमदनी से ही उसके परिवार का गुजारा होता है। पत्नी दिन में खेत में काम के अलावा जलावन के लिए पास के जंगलों से लकड़ी लाती है फिर लकड़ियों से ही खाना बनता है। बेबसी के बावजूद खुद की मेहनत से उत्साहित रंजय ने कहा कि सरकारी कर्मचारी व प्रतिनिधियों ने हमारी नहीं सुनी तो क्या हुआ। अब अपनी जमीन में मिट्टी की कटाई शुरू कर दिया हूं। जब दिन बड़ा होने लगेगा तो अपनी पत्नी को साथ लेकर खुद की मिट्टी का घर तैयार करेंगे। बरसात से पहले कोशिश रहेगी कि मिट्टी का हमलोगों का घर तैयार हो जाए।
जिला परिषद अध्यक्ष ने जो कहा :
मामले के बावत पूछे जाने पर जिला परिषद अध्यक्षा पूनम देवी ने गणादेश से कहा कि हमलोगों के द्वारा गरीबों की मदद के लिए पूरी तत्परता बरती जा रही है। आपके माध्यम से मिली यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है मैं स्वयं ही गांव जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी लूंगी। मेरे स्तर से जो भी संभव होगा तत्काल उन्हें राहत दिलाने के लिए कार्य किया जाएगा।