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सफलता की प्रथम सीढी अनुशासन है:रामावतार नरसरिया
रामावतार नरसरिया ने कहा कि प्रधानाचार्य प्रकाश पुंज हैं ।नवीन उन्नति ,नवीन स्वर, नवीन स्वरूप मां शारदे हमें प्रदान करें। सेवा भाव एवं आत्म संतोष के लिए सभी प्रधानाचार्य जुड़े हैं। अनुशासन सफलता की प्रथम सीढ़ी है। जीवन में सफलता ,ईमानदारी ,अनुशासन में रहकर ही हम सफल हो सकते हैं। विद्या भारती का लक्ष्य हमारी सफलता का मापदंड है। शोध का विषय औपचारिक और अनौपचारिक गति का है। मनुष्य का स्वभाव जल के समान ढलान की तरफ बहने का होता है किंतु फोर्स और पावर का उपयोग कर नीचे से ऊपर की ओर जल चढ़ा लेते हैं।
प्रदीप कुमार कुशवाहा ने कहा कि विद्या भारती विश्व में प्रथम स्थान रखने वाली शिक्षा संस्थान है।नवाचार को एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर लागू कर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम का शोध होते रहे हैं। विभाग एवं संकुल स्तर पर कार्यों का क्रियान्वयन करते हैं। वर्ष में कार्यों का सिंहावलोकन भी करते हैं। चार दिनों के मंथन के बाद जो अमृत निकलेगा उसे लेकर विद्यालय वापस जाएंगे। द्रुत गति से धरती पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति को कार्य रूप में देना है।
मंच संचालन गया विभाग के विभाग निरीक्षक ब्रह्मदेव प्रसाद द्वारा एवं अतिथि परिचय विद्यालय के प्रधानाचार्य सुमंत कुमार द्वारा किया गया।इस अवसर पर उमाशंकर पोद्दार, ब्रह्मदेव प्रसाद, राकेश नारायण अम्बष्ट, सतीश कुमार सिंह, विनोद कुमार, रमेश मणि पाठक ,राजेश कुमार ,परमेश्वर कुमार, वीरेंद्र कुमार, गंगा चौधरी, सुमंत कुमार ,अमरेश कुमार, अनंत सिन्हा, रामजी प्रसाद सिन्हा,संजय सिंह, देवानंद दूरदर्शी ,आलोक कुमार, सुजीत कुमार गुप्ता, शशि भूषण मिश्र,सुमन चौधरी,भीष्म मोहन झा के साथ-साथ लगभग 225 प्रतिभागी प्रधानाचार्य उपस्थित थे।