
मोरनी के बच्चों का पालनहार बनी मुर्गी, अब पीटीआर कर रहा लालन-पालन
पलामू,(झारखंड):पलामू रिजर्व टाइगर ( पीटीआर) में हैचिंग से जुड़ा एक रोचक वाकया सामने आया है। एक मुर्गी ने मोर के पांच अंडों की हैचिंग की। अंडों से मोर के बच्चे बाहर निकल आए। अपने बच्चे समझ मुर्गी ने पालना शुरू कर दिया। यह सब किसान श्रीमंगल सिंह के झुमरी गांव स्थित घर में हुआ। रेंजर को जानकारी मिली तो किसान के घर में छापेमारी हुई। मोर के बच्चों को बरामद किया गया। अब वन विभाग के रूम केज में बच्चों को रखा गया है। बड़े होने तक लालन-पालन किया जाएगा।
श्रीमंगल को जंगल में मिले मोरनी के अंडे
पीटीआर के बारेसाढ़ रेंज के झुमरी गांव के श्रीमंगल सिंह जंगल में गए थे। एक स्थान पर उन्हें पांच अंडे पड़े दिखे। जिस स्थान पर अंडे पड़े थे वहां से उन्होंने मोरनी को उड़ते हुए कुछ ही देर पहले देखा था। काफी देर तक मोरनी नहीं आई तो वह अंडे को उठाकर अपने घर लाए। उन्होंने पहले से घर में मुर्गी पाल रखी थी। मुर्गी के बैठने ( दरबे) वाले स्थान पर अंडों को रख दिया। मुर्गी ने हैचिंग की। और कुछ दिनों बाद अंडे से सुरक्षित मोर के बच्चे बाहर आ गए। मुर्गी ने अपना समझ बच्चों को पालना शुरू किया। यह बात गांव से निकलकर बारेसाढ़ रेंजर तरूण कुमार सिंह तक पहुंची। उन्होंने 21 जून को गांव में छापेमारी की। श्रीमंगल सिंह के घर से मोरनी के पांच बच्चे मिले। सभी स्वस्थ हैं। रेंजर को श्रीमंगल ने पूरी कहानी बताई।
छिपादोहर पूर्वी में रखा गया है मोरनी के बच्चों को
श्रीमंगल सिंह के घर से बरामद मोरनी के पांच बच्चों को छिपादोहर पूर्वी में वन विभाग के देखरेख में रूम केज में रखा गया है। यहां पर कुल मोर के 11 बच्चे हैं। पहले से तीन बच्चे थे। वन विभाग ने मंगरा के मितियस बिरीजिया के घर से भी मोरनी के 3 बच्चों को बरामद किया है। बिरीजिया ने भी श्रीमंगल सिंह जैसी कहानी वन विभाग को बताई। रेंजर तरूण कुमार सिंह ने बताया कि जिन दो लोगों के घर से मोरनी के बच्चे मिले उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। उन लोगों ने अंडों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया। एक गांव में पांच और दूसरे में तीन मोर के बच्चे मिले। वन विभाग की देखरेख में छिपादोहर पूर्वी में रखा गया है।
मुर्गी और मोर के अंडे में बुहत अंतर नहीं होता है। मोर का अंडा थोड़ा बड़ा होता है। इसलिए मुर्गी ने अपना समझ हैचिंग की होगी। बरामद मोर के बच्चों को सुरक्षित रखा गया है। बड़े होने पर जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
मुकेश कुमार, उप निदेशक, पीटीआर।