दो इनामी भाकपा माओवादी के जोनल कमाण्डर ने किया आत्मसमर्पण
पलामू डीआईजी ने दोनों नक्सलियों को 10 लाख रुपए का प्रतीकात्मक सौंपा चेक
लातेहार,(झारखंड):लातेहार पुलिस के समक्ष शुक्रवार को दस लाख के दो इनामी माओवादी नक्सलियों ने आत्म समर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में भाकपा माओवादी संगठन के जोनल कमांडर नीरज सिंह खरवार और सालमन गंझु शामिल हैं। पलामू डीआईजी वाई एस रमेश, लातेहार डीसी गरिमा सिंह एसपी अंजनी अंजन, सीआरपीएफ कमांडेंट वेद प्रकाश त्रिपाठी और 214 बटालियन सीआरपीएफ कमांडेंट केडी जोशी ने गुलदस्ता देकर आत्म समर्पण करने वाला नक्सलियों को सम्मानित किया।साथ ही दोनों नक्सलियों को 10 लाख रुपए का प्रतीकात्मक चेक सौंपा गया। सरेंडर करने वाला में सलमान उर्फ लोकेश उर्फ राजकुमार गंझू व नीरज सिंह खेरवार उर्फ संजय खेरवार पिता पुचु खेरवार (आबून पांकी) का रहने वाला है। मौके पर पलामू डीआईजी वाई एस रमेश ने कहा कि सीआरपीएफ, कोबरा व जिला पुलिस के संयुक्त नेतृत्व में दोनों नक्सलियों का सरेंडर करना बड़ी उपलब्धि है। आगामी होने वाला चुनाव की दृष्टि से भी यह बड़ी सफलता है। उन्होंने सरेंडर करने वाले सभी पुलिस पदाधिकारी को बधाई दी है। एसपी अंजनी अंजन ने कहा कि पिछले तीन वषों से लगातार सीआरपीएफ, कोबरा, झारखंड जगुवार व जिला पुलिस के द्वारा नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चलाई जा रही है। जिससे पुलिस को कई उपलब्धि भी मिली है। अभियान का ही नतीजा है कि दस लाख की इनामी अपने एक दस्ता सक्रिय जोनल कमांडर के साथ सरेंडर किया है। उन्होंने कहा कि दोनों नक्सलियों लातेहार जिले में काफी सक्रिय रहा है। उसके सरेंडर करने से क्षेत्र में घटनाएं कम होगी।
2004 में भाकपा माओवादी में बाल दस्ता में हुआ था शामिल:नीरज सिंह
सरेंडर करने वाला दस लाख के इनामी माओवादी के जोनल कमांडर 2004 में भाकपा माओवादी के बाल दस्त में शामिल हुआ था। तब उसकी उम्र 13-14 साल की थी। सरेंडर करने वाला नीरज सिंह पर विभिन्न थानों में कुल 24 केस हैं। मनिका थाना क्षेत्र में सात, छिपादोहर , गारू व बाढेसाढ़ में चार, नेतरहाट,लातेहार, महुआडांड़ व हेरहंज थाना में आर्म्स एक्ट, 17 सीएलए एक्ट के तहत एक-एक मामला दर्ज है। जबकि सलमान उर्फ लोकेश पर किस्को, गारू, छिपादोहर व लातेहार थाना में कुल पांच मामले दर्ज है।
सामाजिक कार्य करेंगे: नीरज
सरेंडर करने के बाद नीरज सिंह ने कहा कि लंबे समय से जंगल की रास्ता में भटक गए थे। इसके बाद लगा कि सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाते हुए मुख्य धारा में लौट आए। इसके बाद पुलिस पदाधिकारी से संपर्क कर सरेंडर करने का मन बनाया। उन्होंने कहा कि 2004 में भाकपा माओवादी के बाल दस्त में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण के बाद मुख्य धारा पर लौटकर सामाजिक कार्य करेंगे। सरेंडर के दौरान दोनों नक्सलियों के परिवार, माता-पिता व परिजन मौजूद थे।