
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए विश्वकवि रवींद्र नाथ टैगोर अवार्ड से सम्मानित हुए टीएमबीयू के कुलपति प्रो. जवाहर लाल
इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ ओरिएंटल हेरिटेज कोलकाता में हुआ सम्मान समारोह का आयोजन
शुभम कुमार/भागलपुर:तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जवाहर लाल को शुक्रवार को कोलकाता में विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर अवार्ड से सम्मानित किया गया। कुलपति को यह अवॉर्ड इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ ओरिएंटल हेरिटेज के द्वारा दिया गया।
कुलपति को 46 वाँ एनुअल इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन ओरिएंटल हेरिटेज के दौरान इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। विदित हो कि उक्त इंटरनेशनल कांफ्रेंस का आयोजन 7- 9 मार्च को कोलकता में हो रहा है। जिसमें टीएमबीयू के कुलपति प्रो. जवाहर लाल भी भाग ले रहे हैं।कांफ्रेंस में कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने कह की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और भारतीय ज्ञान प्रणाली भारत के सांस्कृतिक विरासत के महत्वपूर्ण पहिए हैं। कुलपति ने कहा कि शिक्षा न सिर्फ मानव को पशुता से ऊपर उठाता है बल्कि यह किसी देश के वर्तमान एवं भविष्य निर्माण का महत्वपूर्ण यंत्र भी है। यह एक ऐसी शक्तिशाली अस्त्र है जिससे पूरे विश्व को बदला जा सकता है।शिक्षा किसी देश के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा आजीविका, समृद्धि और गरीबी उन्मूलन का सशक्त साधन भी है। शिक्षा द्वारा व्यक्तित्व विकास के साथ साथ मानव संसाधन को मानव पूंजी में परिवर्तित किया जा सकता है। भारत को आत्मनिर्भर और नॉलेज सुपर पावर बनाने के लिए बहुविषयक शिक्षा, कौशल, व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा जरूरी है।
कुलपति प्रो. लाल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर की शिक्षा दृष्टि समाहित है। टैगोर ने कहा था कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि इसमें सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास भी शामिल होना चाहिए। जिससे छात्र रचनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से अपनी क्षमता और प्रतिभा को विकसित करना सीखें। कुलपति ने कहा कि भारतीय नागरिकों का यह परम कर्तव्य है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं भारतीय जान प्रणाली को मजबूती प्रदान कर शीघ्र कार्यान्वयन द्वारा भारतीय सांस्कृतिक विरासत को पहले की अपेक्षा ज्यादा सुदृढ़ एवं गौरवशाली बनाएं जिससे एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार किया जा सके तथा भारत को विश्व गुरु के रूप में पुनर्स्थापित करने की कल्पना को साकार किया जा सके।
सम्मेलन में उन्होंने काफी विस्तार से भारतीय जान परम्परा पर अपने विचार रखे।