आज का दिन भी गुलज़ार रहा समवेत द्वारा आयोजित बाल अभिव्यक्ति उत्सव “रंग-ए-मिलाप” में रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से।
कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन शिक्षाविद एवं बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ राजीवकांत मिश्रा, वरिष्ठ संस्कृति कर्मी डॉ चंद्रेश, गांधीवादी विचारक डॉ मनोज मीता, पूर्व मेयर डॉ वीणा यादव, समाज कर्मी एनुल होदा, अरुणिमा सिंह,वरीय शिक्षक संजीव अक्षत अर्णव ,सुनील जैन तथा समवेत के निदेशक श्री विक्रम ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया।
कार्यक्रम की रूपरेखा तथा उद्देश्य पर चर्चा करते हुए श्री विक्रम ने कहा कि कला हमारे संस्कृति का अभिन्न अंग है। अपसंस्कृति, फुहड़ता तथा बाजार के प्रभाव से हमारी समृद्ध लोक संस्कृति विलुप्त और विकृत हो रही है। एक स्वस्थ और सुंदर समाज निर्माण के लिए लोक संस्कृति तथा उनकी विविधताओं का संरक्षण बेहद आवश्यक है।
कार्यक्रम की शुरुआत सितार गुरु श्री प्रवीर के नेतृत्व में सितार वादन से हुई वहीं रंग तरंग के बच्चों ने स्वागत गीत से आगत अतिथियों का स्वागत किया। लोक नृत्य सामा चकेवा, आदिवासी लोक नृत्य दशांय, सोहराय, संथाली नृत्य अरिचेली, कजरी, धान कटनी आदि पारंपरिक लोक नृत्य की प्रभावशाली प्रस्तुतियों ने तो उपस्थित दर्शकों को जैसे सम्मोहित कर लिया।
उत्सव में समवेत की नाट्य प्रस्तुति “अभिलाषा की मृत्यु”की जीवंत प्रस्तुति भी शानदार रही। नाटक की परिकल्पना डॉ चैतन्य प्रकाश तथा निर्देशन विक्रम कांत का रहा। नाटक में प्रमुख भूमिका सत्यम, शिवम, प्रभाष,स्वीटी तथा शांतनु ने निभाई।कार्यक्रम में सुहानी शौर्य की बाल अधिकार आधारित पोस्ट प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही।
मौके पर अतिथियों द्वारा केंद्र की बच्चियों को खेल सामग्री का वितरण भी किया गया।आगत अतिथियों का स्वागत सपना धन्यवाद ज्ञापन शाहीन अनीश ने तथा संचालन बर्षा ने किया।इस अवसर पर टिंकु,राहुल, सुनील मंडल, नूतन कुमारी, शाद,अमलेश, विजय मंडल, आनंद, संतोष,गंगेश ,स्वीटी,मनीषा, परमानंद झा गौतम कुमार सत्यम, सुहानी,साक्षी,राजदेव,विजय कुमार मंडल आदि उपस्थित थे।
संवाददाता शुभम कुमार भागलपुर।