
प्रधानमंत्री के आगमन पर दिए गए भाषण के आलोक में समीक्षा बैठक आयोजित
शुभम कुमार/भागलपुर:गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र भागलपुर में प्रकाश चंद्र गुप्ता के अध्यक्षता में प्रधानमंत्री के आगमन पर उनके द्वारा दिए गए भाषण के आलोक में एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। सर्वप्रथम परिधि के उदय जी ने अपनी बातें रखते हुए इस तरह के कार्यक्रम और उसपर पानी की तरफ पैसा बहाने पर आपत्ति उठाई। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम केवल विभागीय कार्यक्रम नहीं बल्कि यह चुनावी कार्यक्रम था, यहां के आदमी ठगे महसूस कर रहे हैं क्योंकि लोग आशान्वित थे की हवाई अड्डा DRM कार्यालय, ग्रीन फील्ड आदि की बातें प्रधानमंत्री करेंगे लेकिन इस संबंध में उन्होंने कुछ भी नहीं कहा।किसानों को 2000 देने की बात किसानों का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाने के लिए है। संपूर्ण विकास की धारा आज किसानों के शोषण के लिए बह रही है।मोहम्मद तकी अहमद जावेद ने बताया कि कार्यक्रम से भागलपुर को घाटा हुआ है।दिहाड़ी मजदूर रिक्शा,ठेला वाले,फल बेचने वाले, साग सब्जी बेचने वाले को प्रधानमंत्री जी के आगमन के नाम पर पिछले एक माह से फुटपाथ पर नहीं बेचने देने के कारण इन गरीबों को काफी क्षति पहुंची है।
जनप्रिय के गौतम जी ने आपबीती बताते हुए गरीबों को हुए क्षति का उल्लेखित किया और प्रशासन द्वारा छोटे वाहनों से वसूली करने की बातें बताते हुए सरकारी मशनरी के दुरुपयोग को सामने रखा।
गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के संजय जी ने इसके कुछ सकारात्मक पहलुओं को भी रखा और बताया कि इस तरह के कार्यक्रम से गली मोहल्ले का रोड की सफाई हो जाती है लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से भागलपुर वासियों का भ्रम भी टूटा है क्योंकि उन्हें यह भ्रम था कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से उनके द्वारा यहां आकर बहुत कुछ दिया जाएगा लेकिन भागलपुर को कुछ नहीं मिला। तिलका माझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सीनियर सहायक प्राध्यापक डॉक्टर उमेश प्रसाद नीरज ने बताया कि इस कार्यक्रम में जो भीड़ थी वह स्वाभाविक नहीं बल्कि शासन- प्रशासन और राजनीतिक पार्टी द्वारा लाई गई भीड़ थी। सभी विभागों को भीड़ जुटाने, उसकी व्यवस्था करने का टारगेट दिया गया था। ऐसा नहीं करने पर उसे परिणाम भुगतने की धमकी भी दी जा रही थी। वास्तव में यह सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग है। जिस कारण प्रधानमंत्री यहां आए थे, वह कार्य दिल्ली में भी बैठकर आसानी से किया जा सकता था ।इस तरह के कामों के लिए इस तरह पैसा बहाना किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं कहा जा सकता, साथ ही प्रधानमंत्री का उद्बोधन जिस स्तर का होना चाहिए वह दिखाई नहीं पड़ा बल्कि विपक्ष को कोसने से यह साबित होता है कि यह चुनावी कार्यक्रम था।
प्रोफेसर डॉक्टर मनोज कुमार ने बताया कि आज नेताओं के बोलने का स्तर घटा है। उन्होंने बताया कि किसान निधि के माध्यम से₹2000 देना किसान का सम्मान नहीं बल्कि और असम्मान है, किसान का सम्मान तो तब होता जब किसान के खेतों में पानी पहुंचाने की व्यवस्था के संबंध में परियोजना का घोषणा होता, उत्तम बीज किसान को सही दाम पर मुहैया हो सके इसकी बात की जाती। प्रधानमंत्री के आगमन पर चौक चौराहे पर नाच गांव डांस और सेल्फी आदि की व्यवस्था और जिसमें बच्चियों के द्वारा इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेना अपसंस्कृति को बढ़ावा देता है। विक्रमशिला विश्वविद्यालय यथा शीघ्र शुरू करने ,बौद्ध सर्किट पर बात ना करना यह इस क्षेत्र के पर्यटन विकास को नकारने जैसा है। वास्तव में अंग पौराणिक काल से उपेक्षित रहा है,प्रधानमंत्री के आगमन से यहां के लोगों ने जो आस लगा रखा था वह पूरा नहीं हुआ ।लगता है कि अंग क्षेत्र आज भी अपेक्षित है। अंगिका को कोड न मिलना और उस पर प्रधानमंत्री द्वारा कुछ बात नहीं करना अंग क्षेत्र के लोगों और अंगिका भाषा के साथ अन्याय है।
गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र गुप्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री जी के आगमन के पूर्व बिहार के मंत्रियों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ लगातार सामाजिक संगठनों की बैठक होती रही, आवश्यक मांग हेतु मांग पत्र बनाकर भी सौपा गया।पार्टी पदाधिकारी और मंत्रियों को मांग पत्र सौंप कर प्रधानमंत्री तक इस मांग को रखने का कोशिश किया गया। मंत्री द्वारा आश्वासन भी मिला लेकिन मांग पत्र में उल्लिखित मांगों की घोषणा प्रधानमंत्री के भाषण में नहीं हुआ ।यह स्पष्ट हो गया की भागलपुर वासियों के साथ अन्याय हुआ है। भागलपुर से हवाई उड़ान की कोई घोषणा नहीं हुई, इससे भी भागलपुर वासियों को निराशा हुई। बैठक में भाग लेने वाले सभी साथियों ने इस पर सहमति जताई कि इस तरह के कार्यक्रम में आम लोगों को होने वाले कठिनाइयों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।बैठक में कई एक सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।