बहुभाषीय साहित्यिक संस्था sahyog द्वारा दिनकर जयंती सह पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम तुलसी भवन में आयोजित हुआ.
दिनकर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से निवेदिता Shrivastava ne bolte huye कहा कि दिनकर कालजयी साहित्यकार थे और उनकी पुस्तक संस्कृति के चार अध्याय हर साहित्य मर्मज्ञ को पढ़ना चाहिए.
डॉ आशा Shrivastava की पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि डॉ शकुंतला पाठक ने किया और कहा कि साहित्य सिर्फ लिखना नहीं बल्कि महसूस करना भी है.
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि के दीप प्रज्वलन के साथ हुईं.
स्वागत उद्बोधन के साथ छाया प्रसाद ने सुमधुर गीत भी प्रस्तुत कर अतिथियों का सत्कार किया.
डी वी बी एम एस कॉलेज की प्रोफेसर पामेला घोष दत्ता ने ‘मोह मोह के धागे ” लघु उपन्यास पर भाव पूर्ण चर्चा की और कहा कि यह पुस्तक डॉ आशा श्रीवास्तव की सच्ची श्रद्धांजलि है अपनी माँ के प्रति. आशा Shrivastava ki yah पांचवी पुस्तक है और पिछले 25 वर्षों से वे निरंतर लिख रही हैं.
अपने उद्गार व्यक्त करते हुए उन्होंने अपने साहित्यिक यात्रा में साथ देने वाले फादर कामिल बुल्के, निर्मल मिलिंद, दिनेश्वर सिंह, तथा त्रिभुवन ओझा को भी याद किया.
कार्यक्रम में सहयोग के वरिष्ठ सदस्य बृजेंद्र नाथ मिश्रा का अभिनंदन किया गया. हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा साहित्यिक योगदान के लिए किया गया था.
कार्यक्रम का सुंदर संचालन राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ अनीता शर्मा ने किया जिसे लोगों ने बहुत सराहा.
दिनकर से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए डॉ जूही समर्पिता ने कहा कि अब राजनीति को सम्भालने के लिए साहित्य को आगे आना होगा. जब नेहरू sansad की सीढियों से उतरते समय लड़खड़ा गए तब दिनकर ने उन्हें संभालते हुए कहा कि जब राजनीति लड़खड़ा जाए तब साहित्य उसे संभालता है. आज साहित्यकारों को कलम की ताकत दिखानी होगी.
सचिव विद्या तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम में बी के श्रीवास्तव, हरि मित्तल अरुणा झा,अंजनी सहाय,ममता कर्ण अनुज कुमार, रश्मि बारला,दीपिका बनर्जी, रजनी, शुभा, तथा शहर के अनेक साहित्यकार मौजूद थे.