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सभागार जिला अस्पताल भागलपुर में परिवार नियोजन सेवाओं पर कार्यशाला का आयोजन

सभागार जिला अस्पताल भागलपुर में परिवार नियोजन सेवाओं पर कार्यशाला का आयोजन

 

सभागार जिला अस्पताल,भागलपुर में “होल साइड ओरिएंटेशन” का आयोजन किया गया। इस ओरिएंटेशन में विभिन्न विभागों के इंचार्ज और अन्य स्टाफ को संक्रमण से बचाव और परिवार नियोजन सेवाओं के बारे में जानकारी दी गई

 

 

इस आयोजन में जिला अस्पताल और प्रखण्ड के विभिन्न विभागों के बीसीएम, नर्सिंग स्टाफ, परिवार नियोजन परामर्शदाता, शल्य कक्ष सहायक और अन्य कर्मियों के लिए प्रसव पश्चात और गर्भपात पश्चात परिवार नियोजन सेवाओं के सुदृढ़ीकरण हेतु एक कार्यशाला आयोजित की गई.कार्यशाला की शुरुआत डॉक्टर ज्योति (मेडिकल ऑफिसर, स्त्री एवं प्रसूति विभाग) द्वारा की गई

 

 

जबकि डॉक्टर दीपशिखा (मेडिकल ऑफिसर) ने परिवार नियोजन के सभी साधनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने प्रसव और मातृत्व सेवाओं के साथ-साथ प्रसव पश्चात और गर्भपात के बाद परिवार नियोजन सेवाओं की महत्वपूर्ण जानकारी साझा की.कार्यशाला में, डॉक्टर दीपशिखा ने पीपीटी के माध्यम से परिवार नियोजन के विभिन्न साधनों की तकनीकी बारीकियों पर विस्तार से चर्चा की।

 

उन्होंने बताया कि हर गर्भवती महिला को उसके एएनसी (एंटीनैटल केयर) के दौरान ही परिवार नियोजन पर नियमित परामर्श मिलना चाहिए, ताकि प्रसव के बाद महिला दो बच्चों के बीच कम से कम दो साल का अंतराल बनाए रख सके.डीएचएस से श्री भरत, डीसीएम ने कार्यशाला में परिवार नियोजन के संबंध में महतावपूर्ण जानकारी दी तथा परिवार नियोजन के डाटा के बारे में चर्चा की.पीएसआई इंडिया के ऋतु तिवारी ने जानकारी दी कि प्रसव के बाद महिलाओं की प्रजनन क्षमता सामान्य रूप से 42 दिनों में वापस आ जाती है, और इस दौरान यौन संबंध बनाने पर गर्भधारण का खतरा बढ़ जाता है।

 

इसी प्रकार, गर्भपात के बाद महिला केवल 12 दिनों तक गर्भधारण से प्राकृतिक रूप से सुरक्षित रहती है, और इसके बाद गर्भधारण हो सकता है। इसीलिए अनचाहे गर्भ से बचने के लिए किसी न किसी गर्भनिरोधक साधन का उपयोग आवश्यक है।

संवाददाता शुभम कुमार भागलपुर

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