ताज़ादुनियान्यूज़मनोरंजनराष्ट्रीय

न्यायालय का आ गया फैसला, मिश्र परिवार ही रहेंगे नगर मंदिर के सेवायत

न्यायालय का आ गया फैसला, मिश्र परिवार ही रहेंगे नगर मंदिर के सेवायत

न्यायालय का फैसला आने के बाद लोगों में खुशी का माहौल

लोगों ने कोर्ट के फैसले को बताया न्याय की जीत, श्रद्धालुओं में भी खुशी

लातेहार,(झारखंड):लातेहार न्यायालय में न्यायाधीश द्वितीय लातेहार अब्दुल नसीर की अदालत में लंबे समय से चल रहे वाद संख्या 02/2006 के मामले में सुनाए गए फैसले के बाद लोगों में खुशी देखी जा रही है। मंदिर सेवायत सह मुंतजिमकार पक्ष के पं. गोविंद वल्लभ मिश्र और उनके पौत्र लातेहार न्यायालय के अधिवक्ता मनोज मिश्र ने बताया कि न्यायालय के फैसले के अनुसार टुढ़ामू के मिश्र परिवार ही पूर्व की तरह सेवायत बने रहेंगे।मंदिर परिसर के अंतर्गत आने वाली जमीन की स्थिति कैडस्टल सर्वे के हिसाब से ही होगी।बताया कि उक्त वाद में श्री श्री दुर्गा महारानी नगर द्वारा गोविन्द वल्लभ मिश्र सेवायत व मुंतजिमकार वादी थे।वादी की ओर से ब्रजकिशोर पांडेय, राजीव रंजन पांडेय तथा मनोज कुमार मिश्र ने पैरवी की थी वहीं प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता प्रदीप पांडेय एवं शमशूल कमर खां ने पैरवी की थी।निर्णय मिलने के पश्चात सेवायत व मुंतजिमकार गोविंद वल्लभ मिश्र ने कहा है कि मां उग्रतारा की कृपा से सत्य की जीत हुई।उन्हें न्यायालय के न्याय पर भरोसा था।अधिवक्ता मनोज कुमार मिश्र ने कहा कि फैसला आने से पहले लोगों में कई तरह की चर्चाएं थीं लेकिन हमलोगों को न्याय पर पूरा भरोसा था।एक बार फिर न्याय की जीत हुई है।

सच्चे दिल से पूजा करने पर मन्नत होती है पूरी :

लातेहार जिला अंतर्गत चंदवा प्रखंड मुख्यालय से मात्र दस किमी दूर रांची-चतरा मुख्य मार्ग पर स्थित मां उग्रतारा नगर मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है।ममतामयी मां के रूप में प्रसिद्ध इस मंदिर में देवियों की मूर्तियां हैं। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, दिल्ली, राजस्थान, छतीसगढ़, चेन्नई इत्यादि राज्यों से श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए सालों भर यहां आते रहते है।मां उग्रतारा नगर मंदिर में रामनवमी तथा दुर्गापूजा का आयोजन धूमधाम से होती है।इस मंदिर में हर माह की पूर्णिमा को अपार भीड़ होती है। दुर्गापूजा के दिन तो हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं।श्रद्धालुओं का मानना है कि जो यहां सच्चे दिल से पूजा-अर्चना करता है, उसकी मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं।मां उग्रतारा नगर मंदिर पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है।

मंदिर में पूजा की परंपरा :

यहां मंदिर के पुजारी गर्भ गृह में जाकर श्रद्धालुओं के प्रसाद का भगवती को भोग लगाकर देते हैं। श्रद्धालुओं को अंदर प्रवेश की मनाही होती है।यहां प्रसाद के रूप में मुख्य रूप से नारियल और मिश्री चढ़ाई जाती है। मोहनभोग भी चढ़ाया जाता है, जिसे मंदिर का रसोइया ही बनाता है। दोपहर में पुजारी भगवती को उठाकर रसोई में ले आते हैं। वहां भात, दाल और सब्जी का भोग लगता है, जिसे पुजारी स्वयं बनाते हैं। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं द्वारा बकरे की भी बलि दी जाती है। मंदिर में दो बार विधिवत आरती की जाती है।

रहस्यों से भरा है पूरा क्षेत्र :

मां भगवती के दक्षिणी और पश्चिमी कोने पर स्थित चुटुबाग नामक पर्वत पर मां भ्रामरी देवी की गुफाएं हैं, जहां कई स्थानों पर बूंद-बूंद पानी टपकता रहता है। करीब सत्तर फीट नीचे सतयुगी केले का वृक्ष है, जो वषरें पुराना होने के बावजूद आज भी हराभरा है। इसमें फल भी लगता है। वहां मौजूद एक पत्थर के छिद्र से तीव्र गति से पानी हमेशा निकलता रहता है, मगर यह पानी सिर्फ केले के वृक्षों को ही प्राप्त होता है। शेष सभी स्थान सूखे रहते हैं।

मंदिर तक पहुंचने का मार्ग :

चंदवा तक रेलमार्ग या सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।
फिर चंदवा से मंदिर तक बस या निजी वाहनों द्वारा जाया जा सकता है।
मंदिर 12:30 बजे बंद हो जाता है। -पुन: 4:30 में मंदिर का पट खुलता है और शाम की आरती के बाद बंद हो जाता है।

सुनिए लोगों ने जो कहा :

न्यायालय से फैसले के रूप में सच्चाई की जीत हुई है। हमलोगों को सदैव न्यायालय पर भरोसा था और हमेशा बना रहेगा।

मनोज मिश्र, अधिवक्ता लातेहार।

मंदिर को लेकर न्यायालय की ओर से आया फैसला न्याय की जीत और मां की कृपा है। फैसला आने से सच्चाई सामने आ गई है।
अश्विनी मिश्र, उपप्रमुख सह मंदिर सेवक।

Tags

Related Articles

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker