चतरा का विकास का अपना मॉडल होगा: डॉ.अभिषेक सिंह
एक कहावत है “एक अच्छा चिकित्सक बीमारी का इलाज करता है। और एक महान चिकित्सक उस रोगी का इलाज करता है जिसे यह रोग है।“
प्रशांत जयवर्धन/रांची,(झारखंड):झारखंड के प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ. अभिषेक कुमार सिंह उन गिनेचुने चिकित्सकों में है जो बीमारी के साथ बीमार को भी ठीक करते है। अध्यात्म में इनकी गहरी रूचि है। योग और व्यायाम दिनचर्या में शामिल है। दिन में एक बार ही भोजन करते है और अच्छी नींद के लिए शरीर को श्रम की पराकाष्ठा तक लेकर जाते है। प्रेरक किताबें , जिजीविषा से जुड़ी गाथा पढ़ने में गहरी रूचि रखते है। सकारात्मकता इनके जीवन का मूल मंत्र है।डॉ. अभिषेक कहते है ” एक अच्छा डॉक्टर मरीज की आधी बीमारी तो अपनी बातों और हीलिंग टच से ठीक करता है। आज के समय मरीज मानसिक रूप से ज्यादा बीमार है। अनियमित दिनचर्या , चिंता, नींद न आना, शारीरिक श्रम से परहेज, मोबाईल का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों के साथ बड़ों को भी नेत्र, ह्रदय, अवसाद, अनिंद्रा जैसी बिमारियों का शिकार बना रहा है।
कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई और एम्स, नई दिल्ली से एम्.डी करने के बाद इन्होने इंग्लैंड के ग्लासगो यूनिवर्सिटी से भी डिग्री प्राप्त की है
डॉ. अभिषेक ने पिछले दिनों महा संकल्प यात्रा के दौरान रांची से विंडमगंज (उत्तर प्रदेश) तक 380 किलोमीटर की पैदल यात्रा से सुर्ख़िया बटोरी । फिर साइकल यात्रा और झारखण्ड के कई मैराथन में भी हिस्सा लिया है। पिछले दो वर्षों से लातेहार और चतरा जिले में लगातार निः शुल्क चिकित्सा शिविर और दवा वितरित कर क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा को मुद्दा बनाने का कार्य किया है।डॉ.अभिषेक अपने साथ रांची के प्रसिद्ध डॉक्टरों की टीम भी साथ लाते है जो नेत्र रोग के साथ अलग अलग बीमारियों का इलाज करते है।
ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकल कर एम्स में 25 वां स्थान , सरकारी नौकरी की जगह खुद का अस्पताल खोलने पर उनका कहना है ” एम्स दिल्ली में काम करते हुए बिहार और झारखंड से आने वाले मरीजों की परेशानी और उनका उपहास उड़ाया जाना मुझे रास नहीं आया। इसके बाद एम्स जैसी व्यवस्था अपने राज्य झारखंड में हो इसी संकल्प के साथ मीनाक्षी नेत्रालय की स्थापना हुई। शंकर नेत्रालय और वेल्लोर की तरह स्वास्थ्य प्रदेश में मिले यही मीनाक्षी नेत्रालय का प्रयास है।
चिकित्सा जैसे प्रतिष्ठित पेशे को छोड़ कर चतरा से लोक सभा चुनाव लड़ने का कारण पर डॉ. अभिषेक सिंह का कहना है ” चतरा विकास की दौड़ में आज भी पीछे छूट गया है। विकास का मतलब सड़क, भवन और उद्योग नहीं होता।व्यक्ति और समाज का विकास भी मतवपूर्ण है। स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा इसमें महत्वपूर्ण स्थान रखता है।चतरा संसदीय क्षेत्र के विकास का एक अपना मॉडल होना चाहिए। इस मॉडल में सभी का सुझाव और भागीदारी हो।यह मॉडल देश के सामने पेश करने का मौका संसद देती है। चतरा में असीम संभावनाएं हैं लेकिन बिचौलियावाद हावी है।चुनाव लड़ने का मन बनाने को लेकर एक घटना का जिक्र करते हुए डॉ. अभिषेक बताते हैं ” लातेहार के महुआटांड में डॉक्टरों की टीम के साथ पहली बार मैं गया था। ग्रामीणों में कैंप को लेकर एक अलग तरीके का उत्साह था। स्थानीय लोगों बताया कि उनकी जानकारी में आज तक इस इलाके में कोई हेल्थ कैंप आयोजित ही नहीं हुआ है। ठीक इसी प्रकार का अनुभव चतरा के लावालौंग में मिला।कैंप में मरीजों से बातचीत के दौरान मुझे अहसास हुआ कि स्वास्थ्य सुविधा दोनों ही जिले के सुदूरवर्ती इलाकों में भयावह है। डॉक्टर का आना और इलाज करना इनके लिए किसी बड़ी उम्मीद का पूरा होने जैसा है।घर के दरवाजे तक चिकित्सीय सुविधा का पहुंचना एक सपने के साकार होने जैसा लगता है।इन्हीं सब अनुभवों के साथ मैने अपना मन बनाया और फिर एक सिलसिला सा चल पड़ा जो पांकी, मनिका, लातेहार और चतरा जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में चल रहा है।
डॉ. अभिषेक ने बताया कि अभी तक 150 से ज्यादा निः शुल्क चिकित्सा शिविर और मुफ्त दवा वितरण कार्य किया जा चूका है और यह कार्य निरंतर जारी है। इसके साथ साथ स्कूल, कॉलेजों और सामुदायिक भवनों में विद्यार्थियों, शिक्षकों और बुद्धिजीवियों के साथ चर्चा, सेमिनार और बैठकों का सिलसिला भी चल रहा है। अब तो स्वतः गांव पंचायत के जनप्रतिनिधि और ग्रामीण ही फोन करके अपने गांव और पंचायत में कैंप लगाने के लिए आमंत्रित करते हैं।