ताज़ादुनियान्यूज़राजनीतिराष्ट्रीय

चतरा लोक सभा चुनाव 2024: चुनावी दंगल में कब धाकड़ होगी आधी आबादी

चतरा लोक सभा चुनाव 2024: चुनावी दंगल में कब धाकड़ होगी आधी आबादी

प्रशांत जयवर्धन/(झारखंड):आजाद भारत के पहले आम चुनाव 25 ऑक्टूबर 1951 और 21 फ़रवरी 1952 के बीच हुए थे। इस चुनाव में देश के 17 फीसदी मतदाताओं ने अपने अधिकार का इस्तेमाल किया था। चुनाव में 1874 उम्मीदवार और 14 राष्ट्रीय पार्टियाँ शामिल थी। पहली लोक सभा में 78 महिला सांसद थी जबकि कैबिनेट में 24 महिलाओं को स्थान दिया गया था।चतरा लोक सभा सीट से (1957) विजया राजे निर्वाचित हुई थी । इसके पूर्व 1952 में वे राज्य सभा के लिए चुनी गयी थी। विजया राजे लगातार तीन बार चतरा से लोक सभा के लिए निर्वाचित हुई थी। इसके बाद अब तक चतरा लोक सभा सीट पर किसी महिला को राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय दलों ने लोक सभा में प्रत्याशी नहीं बनाया है ।पिछले तीन लोक सभा के परिणामों पर नजर डालें तो किसी भी दल ने टिकट देना तो दूर गंभीर रूप से किसी महिला कैंडिडेट के नाम पर विचार भी नहीं किया है। कमोबेश यही स्थिति चतरा संसदीय क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों की भी है। विधान सभा चुनावों में राष्ट्रीय दलों ने तो महिला शक्ति से मुँह मोड़ ही रखा है । क्षेत्रीय दलों ने भी अबतक इनको प्रतिनिधित्व देने को लेकर कोई खास उत्साह नहीं दिखलाया है। टिकट वितरण के समय इनके अधिकारों और प्रतिनिधित्व पर हर दल का खीसा पिटा जवाब होता है कि जितने की गारंटी वाले और क्षेत्र में लोकप्रियता को देखकर ही टिकट वितरण किया जाता है। चतरा जिले की बात करें तो 2014 में हुए विधान सभा चुनावों में झामुमों के टिकट पर राजकुमारी देवी को पार्टी ने सिंबल देकर सिमरिया विधानसभा से चुनाव लड़वाया था। वह चौथे स्थान पर रही थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में 14 लाख 22 हजार 805 मतदाता ने अपने मत का इस्तेमाल किया था जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 74 हजार 207 थी । चतरा लोकसभा क्षेत्र में पांच विधान सभा आते हैं। इसमें चतरा जिले के दो विधान सभा चतरा और सिमरिया, लातेहार जिले के दो विधान सभा मनिका और लातेहार एवं पलामू जिले के एक विधान सभा क्षेत्र पांकी शामिल हैं। सिमरिया विधान सभा क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 49 हजार 690 है।

इसी तरह चतरा विधान सभा क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 69 हजार 129 है। मनिका विधान सभा में महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 69 हजार 129 है। लातेहार विधान सभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 1 लाख 24 हजार 681 है। पांकी विधान सभा में महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 19 हजार 619 है।राजनीतिक जागरूकता से लेकर मतदान करने तक आधी आबादी कहीं पीछे नहीं रहती। रैलियों में भीड़ जुटानी हो या महिला वोटरों को अपने पाले में करना हो यह सब कार्य करने के लिए राजनीतिक दल महिला नेत्रियों को ही आगे करते हैं। चुनावी रैलियों को सफल बनाने में महिला शक्ति की संख्या को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता हैं। लेकिन चुनाव के समय विधान सभा या लोक सभा में टिकट देने के सवाल पर उनका प्रतिनिधित्व विधान परिषद्, राज्य सभा, निगम बोर्ड और जिला परिषदजैसे पदों तक सीमित कर दिया जाता है। चतरा संसदीय क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। आगामी लोक सभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक दलों में प्रत्याशी के चयन को लेकर मंथन जारी है। कई बड़े नाम सामने आ रहे है लेकिन इन नामों में आधी आबादी कहीं पीछे छूट जाती है।

चतरा की जिला परिषद् अध्यक्ष पद पर महिला का प्रतिनिधित्व है। गांव सरकार के पदों पर भी महिला शक्ति ने अपने को साबित किया है। लातेहार जिला परिषद के पद पर भी महिला ही काबिज है।

मीडिया रिपोर्ट्स पर गौर करें तो झारखण्ड विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है, जो कि कुल संख्या का 13 प्रतिशत से अधिक है। राज्य गठन के बाद यह अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। राज्य के दो लोकसभा क्षेत्रों से सांसद महिला ही हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2014 के आम चुनावों में महज 66 महिलाएं चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं। ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि आजादी की आधी सदी से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद महिलाएं इतनी कम संख्या में संसद पहुंचीं। विचारणीय है कि वर्ष 1951 में 22 महिला सांसदों के साथ संसद में आधी आबादी की भागीदारी 4.5 फीसद थी।हालांकि साल-दर-साल इस संख्या में बढ़ोतरी हुई है, पर यह गति बेहद धीमी है। वर्ष 2009 में 10.87 प्रतिशत भागीदारी के साथ महिला सांसदों की संख्या 59 और 2014 में 66 महिला सांसदों की संख्या के बूते 12.15 फीसद रही है।

कहा जा सकता है कि राजनीति में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के मामले में हमारे देश में लगभग सभी पार्टियों ने कोताही की है। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के लिये लाया गया ‘महिला आरक्षण विधेयक’ राज्यसभा से पारित होने के बाद लोकसभा में सालों से लंबित पड़ा है।पंचायत में 33 फीसदी महिला आरक्षण के बाद प्रत्यक्ष तौर पर तो महिलाओं की स्थिति में सुधार दिखाई देता है, लेकिन जहाँ तक निर्णय लेने का प्रश्न है उनके हाथ अभी भी बंधे हुए प्रतीत होते हैं।18 वीं लोक सभा के लिए चुनाव 2024 में होंगे। जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है,चुनावी सरगर्मी तेज होती जा रही है। विपक्षी एकता के वादों के साथ देश के क्षेत्रीय दलों में प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनने की भी होड़ सी लगी है। चुनावों में महिला वोटरों को अपने पाले में करने और देश की आधी आबादी के बीच अपनी स्वीकार्यता स्थापित करने के लिए क्षेत्रीय दल नए पैंतरों के साथ सामने आ रहे हैं। पिछले दिनों ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी बीजू जनता दल में 33 फीसद टिकट महिलाओं को देने का निर्णय लिया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस से करीब 40 फीसद महिलाओं को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाने की घोषणा की है।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराब बंदी और पंचायतीराज चुनावों में महिला आरक्षण की सहानभूति के साथ बदलते बिहार को प्रचारित कर रहे हैं। आम चुनावों की गहमागहमी के बीच क्षेत्रीय दलों का यह फैसला ऐतिहासिक कहा जा सकता है, क्योंकि दूरगामी परिणाम और सकारात्मक संदेश वाला यह निर्णय देश की आधी आबादी के लिए एक बड़े बदलाव का सूचक बन सकता है। यह पहली बार हो रहा है कि किसी पार्टी ने 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की हों। यही वजह है कि राजनीतिक दावपेचों से परे इस निर्णय को महिलाओं को आगे लाने वाले फैसले के रूप में देखा जा रहा है। अब सवाल यह है की राष्ट्रीय दल इस पहल को कैसे लेते है और क्षेत्रीय दल टिकट बटवारें में इस फैसले पर कितना खरा उतरते हैं।

झारखण्ड जैसे राज्य में महिला प्रतिनिधत्व कि बात करें तो जनजातीय समाज की महिलाओं में अपने अधिकार को लेकर ज्यादा जागरूकता देखने को मिलती है। गांव सरकार से लेकर लोक सभा के चुनाव तक में इनकी मुखरता और प्रतिनिधित्व अन्य महिलाओं की तुलना में ज्यादा रहा है। आधी आबादी की दिलचस्पी चुनाव में कम नहीं रहती लेकिन राजनीतिक दांव-पेच और दलों के उदासीन रवैये का शिकार होकर रह जाती हैं।

Tags

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker