अकबरनगर थाना क्षेत्र में डीएसपी इट भट्टा की जमीन को अधिग्रहण कर अकबरनगर थाना बनाने को लेकर स्थानीय मजदूरों ने शनिवार की शाम सुल्तानगंज प्रखंड मुख्यालय के मुख्य गेट के समीप विरोध प्रदर्शन किया। जन संसद के संरक्षक अजीत कुमार के नेतृत्व में सैकड़ों श्रमिकों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और अपने हकों की मांग की।
जन संसद के संरक्षक अजीत कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, “यदि जिला प्रशासन ने डीएसपी इट भट्टा की भूमि अधिग्रहण किया तो हम उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। अकबरनगर थाना के पास बहुत सी खाली जमीन है, जहाँ पर नया थाना खोला जा सकता है।” वह इन मजदूरों के साथ छेड़छाड़ न करे। उन्होंने श्रमिकों के लिए मुआवजे की मांग की और कहा कि उनका जीवन पहले ही संकट में है।
इस इट भट्टे में करीब 400 की संख्या में गरीब और निसहाय,विकलांग जैसे मजदूर काम करते हैं। अधिकतर मजदूर दुर्गा पूजा और छठ पर्व के बाद से ही बाहर कमाने के लिए चला जाता है यह के लोग यही आश्रित में रह जाते हैं कि हम लोगों को यहां पर स्थाई रोजगार है घर का रोजगार है यहीं पर काम कर लेंगे। लगभग 45 दिनों से यह गरीब मजदूरों के घर में चूल्हा जलने पर भी आफत हो गई है। किसी तरह उधारी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
इस दौरान मासदी पंचायत समिति सदस्य राजेश बिंद, उदय तांती, जीवन साह और टिंकू कुमार, कृष्ण कुमार संच प्रमुख दिलीप दीवाना जैसे कार्यकर्ताओं ने भी इस प्रदर्शन में भाग लिया और प्रशासन से आग्रह किया कि जल्द से जल्द उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए। साथ ही जदयू अनुसूचित जाति के जिला अध्यक्ष महेश दास ने भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और कहा कि यदि समस्या का समाधान नहीं होता है, तो वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष इसे उठाएंगे।
महेश दास ने मजदूरों को लेबर कार्ड बनवाने का आग्रह किया ताकि सरकार के द्वारा 3 महीने का भत्ता दिया जा सके। वही ईंट भट्ठा के मुंशी देवानंद यादव ने बताया कि डीएसपी एट भट्ट में 400 की संख्या में मजदूर कई आजादी के बाद से काम करते आ रहे हैं जबकि अकबरनगर थाना के द्वारा हम लोगों को भट्टे में काम करने से रोका जा रहा है जब करीब डेढ़ महीना से हो गया है तो हम लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है
कर्ज लेकर किसी तरह हम लोग भरण पोषण कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने एकजुट होकर यह संकल्प लिया कि वे अपने हक के लिए लड़ेंगे और किसी भी प्रकार के शोषण को सहन नहीं करेंगे। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्थानीय श्रमिक अब अपने हकों के लिए संगठित होकर लड़ने को तैयार हैं।
डीएसपी इट भट्टा में काम कर रहे करीब 400 मजदूरों का भविष्य खतरे में है, और यदि प्रशासन जल्द ही उचित कदम नहीं उठाता है, तो यह मामला दिल्ली तक पहुंच सकता है।