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सिकरहना नदी किनारे बनाए जा रहें बांध का काम रोका, पहुंचे सैकड़ों ग्रामीण

सिकरहना नदी किनारे बनाए जा रहें बांध का काम रोका, पहुंचे सैकड़ों ग्रामीण

 

पश्चिमी चंपारण: सुगौली प्रखंड के दक्षिणी छपरा बहास पंचायत के सपहां में सोमवार को बांध बांधने का काम शुरू होते देख पूर्व मंत्री रामचन्द्र सहनी के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में किसान कार्य स्थल पर पहुंचे और जेसीबी के सामने बैठ गए और काम को रोक दिया और जम कर बवाल काटा।उनका कहना था कि जान दे देंगे पर बांध नही बांधने देंगे।विभाग के द्वारा चिन्हित कर लगाए गए

 

 

पिलर के बीच में जेसीबी द्वारा मिट्टी काटने का काम शुरू किया गया था।किसानों ने जेसीबी को खेत से बाहर निकलवा सड़क पर करवा दिया। पूर्व मंत्री श्री सहनी व पप्पू कुमार यादव,गंगा राम के साथ प्रदीप प्रसाद,मनोज कुमार यादव,मुखिया पति अनिरुद्ध सिंह,मो.कमरेआजम,मैनेजर सहनी,मो.सालीम,मो. सलवतुल्लाह,मो.मालगुजार,मो.जुनैद,जिला परिषद सदस्य तौफिकूर रहमान,एकबाल हुसैन सहित अन्य लोगों ने बताया कि हमारे खेतों की उपज से हमारे परिवार का भरण-पोषण होता है।जिसमे धान,गेंहू,गन्ना सहित अन्य फसलों को उगाया जाता है।

 

 

क्षेत्र के करीब 70 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर है।यदि सिकरहना नदी के दक्षिणी तरफ बांध बना दी जाएगी तो खेत बालू का रेत बन जायेगा। बाढ़ के पानी के जमाव से गांव के लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा।जिससे कोई फसल नही हो पायेगी।किसान के सामने भुखमरी की स्थिति बन जायेगी।लोगों को खाने के लाले पढ़ जाएंगे।

 

 

हमलोग किसी भी कीमत पर बांध नही बांधने देंगे।उनका कहना था कि सिकरहना नदी के उत्तरी किनारे नेपाल की ओर से दर्जनों छोटी-छोटी नदिया आकर मिलती है।बांध बंध जाने से नदी में ज्यादा पानी आ जायेगी और लोगों के जानमाल की भारी क्षति होगी।

 

 

इसके पूर्व में 1980 में भी बांध बांधने की शुरुआत की गई थी और जमीन का भुगतान भी किया गया था पर किसानों के विरोध के बाद काम रोक दिया गया।फिर से तकरीबन चौआलीस वर्षों बाद वहीं किया जा रहा है। किसानों ने बताया कि इसको लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय व जिलाधिकारी को ज्ञापन भी दिया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि अगर बांध का काम नही रुका तो हमलोगों ने आंदोलन करने का निर्णय ले लिया है।

 

 

सरकार किसानों को मदद करने का काम करे। भाजपा के पूर्व मंत्री सह रामचंद्र सहनी ने बताया कि नदी के किनारे बांध बना देने से वहां की जमीन बर्बाद हो जाएगी। साथ ही कैथवलिया,भवानीपुर,सपहां,मेंहवा,मधूमलती,कपरसंडी,मोखलिसपूर,गोबरी,सिसवनियां, मोहम्मदपुर,खैरी और खैरवां घाट के किसानों को काफी दिक्कत होगी।

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