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पंचायतों में स्वीकृत योजनाओं के शुरू में होने बाधा डाल रहे नवनिर्वाचित

जनप्रतिनिधि से विभाग नाराज, कार्रवाई का आदेश

रांची:राज्य की पंचायतों के विकास में पूर्व में स्वीकृत योजनाओं के क्रियान्वयन में नवनिर्वाचित जनप्रतिनधि बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। राज्य सरकार को कई माध्यमों से इसकी सूचना मिल रही है। यह बात लगातार सामने आ रही है कि कई ग्राम पंचायतों में पूर्व वर्ष में संचालित जीपीडीपी ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत ग्राम सभा द्वारा चयनित योजनाओं के क्रियान्वयन एवं भुगतान में हाल में हुए पंचायत चुनाव से चुनकर आये जनप्रतिनिधियों के द्वारा बाधा डाली जा रही है, वे इन योजनाओं को शुरू नहीं करने दे रहे हैं। जिससे स्वीकृत योजनाएं पर आगे काम नहीं हो पा रहा है।पंचायती राज निदेशक राजेश्वरी बी ने इस संबंध में गहरी चिंता व्यक्त कि है और सभी डीडीसी को स्पष्ट किया है कि ग्राम पंचायत विकास योजना संबंधित पंचायत की विकास योजना होती है न कि किसी पंचायत प्रतिनिधि विशेष की सभी योजनाएं ग्राम सभा के निर्णय के आधार पर ही चयनित की जाती है एवं ग्राम पंचायत विकास योजना के आधार पर योजनाओं का क्रियान्वयन एवं समय पर भुगतान संबंधित पंचायत की प्राथमिक जिम्मेदारी है। पंचायती राज निदेशक ने ऐसे सभी बाधा करने वाले जनप्रतिनधियों जिसमें मुखिया, प्रमुख को चि॑हित्त कर जो जानबूझकर लापरवाही, कर्तव्य निर्वहन नहीं कर रहे हैं उनपर उचित कार्रवाई की अनुशंसा भी करने का निर्देश सभी जिलों को दिया है।

काफी कम राशि हुई खर्च

योजनाओं पर धीमा काम और नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों के द्वारा बाधा उत्पन्न कराए जाने के कारण ग्राम पंचायत के विकास में काफी कम राशि खर्च हुई है। विभाग को एमआईएस डाटा से इस बात की जानकारी लगातार मिल रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में आबद्ध निधि में उपलब्ध में कुल 71380.10 लाख रुपये एवं अनाबद्ध निधि में उपलब्ध 40969.80 लाख रुपये के विरूद्ध क्रमशः 20367.10 लाख रुपये एव 19809.30 लाख रुपये ही व्यय हो पाया है। इसी प्रकार 15वें वित्त आयोग 2 के अंतर्गत आबद्ध एवं अनाबद्ध मद से उपलब्ध राशि से त्रिस्तरीय पंचायतों द्वारा वार्षिक विकास योजना के आधार पर वित्तीय वर्ष 2021-22 में 71,009 योजनाओं के विरुद्ध 55,409 योजनाएं एवं वित्तीय वर्ष 2022-23 में 7,955 योजनाओं के विरुद्ध 6,356 योजनाएं ही प्रारंभ की जा सकी है। पंचायती राज निदेशक ने डीडीसी से लापरवाही करने वाले अधिकारियों, मुखिया व प्रमुख के खिलाफ काम की के असफलता के आरोप में निलंबन का प्रस्ताव विभाग को देने को कहा है।

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