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झारखंड के छोटे शहरों में ईवी क्रांति

झारखंड के छोटे शहरों में ईवी क्रांति

डॉ.प्रशांत जयवर्द्धन/रांची,(झारखंड):आपने अपने जिले के गांव में भी ई बाइक,रिक्शा और कार चलते हुए देखा होगा। एक बार को आपकी नजर जरूर ठहरी होगी और अचरज भी हुआ होगा। यह बदलते भारत के गांव और शहरों की तस्वीर पेश करता है।भारत में ईवी ट्रांजिशन पूरी रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। देश मोबिलिटी (गतिशीलता) क्रांति के कगार पर खड़ा है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) देश में नई क्रांति ला रहे हैं। यह अब छोटे शहरों में भी दिखने लगी है, ईवी का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। भारत में 2022-23 के दौरान 11 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई। इनमें इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और ई-रिक्शा श्रेणियों के वाहन सबसे ज्यादा थे। केंद्र सरकार ने 2030 तक कारों और दोपहिया वाहनों की नई बिक्री का 30% इलेक्ट्रिक वाहनों से बनाने का लक्ष्य रखा है।क्रेडिट रेटिंग एंड इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार 2026 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल बिक्री के मामले में दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत, तिपहिया वाहनों में 25-30 प्रतिशत और कारों तथा बसों में 5 प्रतिशत तक हो जाएगी। क्रिसिल के अनुसार, जैसे-जैसे अधिक पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहन रोड से हटते जायेंगे ईवी वाहनों की संख्या बढ़ती जाएगी।

इन्वेस्टमेंट इनफार्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया (आईसीआरए) के अनुसार अगले 3-4 वर्षों में भारत में 48,000 से ज्यादा चार्जिंग प्वाइंट्स होंगे। इस सेक्टर में 14,000 करोड़ रुपए का निवेश होने की संभावना है। केंद्रीय मंत्री गडकरी कह चुके हैं कि सरकार देश के प्रमुख राजमार्गों पर अगले वर्ष तक 600 ईवी चार्जिंग प्वाइंट लगाने की दिशा में बढ़ रही है।

केंद्र सरकार के ई वाहन पोर्टल के अनुसार 2022 तक झारखण्ड में 16811 इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर है। राज्य में 30 चार्जिंग स्टेशन भी स्थापित किये जा चुके है। जबकि रिटेल आउटलेट्स चार्जिंग स्टेशन 22 है। फेडरेशन ऑफ़ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन झारखण्ड के अनुसार राज्य में मई 2023 तक 290 इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की बिक्री हुई। इनमें 100 दो पहिया वाहन थे।

ईवी वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता के पीछे नई तकनीक ही एकमात्र कारण नहीं है, इसे आगे बढ़ाने में ज्यादा किफायती मॉडल्स और सरकार की सक्रिय नीतिगत सहायता महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

छोटे शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते उपयोग के पीछे तीन प्रमुख कारण है:

पहला – ईवी ने परिवहन सुविधा को बेहतर होने में मदद की है।

दूसरा – बड़ी संख्या में देशी कंपनियां इस बाजार में निर्माता बनकर उभरी हैं।

तीसरा – घरेलू चार्जिंग विकल्पों ने गैर-शहरी इलाकों में इलेक्ट्रिक वाहनों की पहुँच बढ़ाने का कार्य किया है।

देश ईवी क्रांति में शहरों, कस्बों और ग्रामीण इलाकों को एक समान प्रतिनिधित्व देना चाहती है।भारत में ईवी ट्रांजिशन इसका प्रमाण है। इसकी प्रकृति ऐसी है कि देश के छोटे राज्य और छोटे शहर शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह क्रांति हितधारकों, उपभोक्ता और निर्माताओं को आशा की किरण नजर आ रहा है।

ज्यादातर लोग भारत में ईवी परिवर्तन को एक शहरी घटना के रूप में देखते हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। शहरों में ईवी की बिक्री, ज्यादातर राज्यों में कुल ईवी बिक्री का एक छोटा-सा हिस्सा है। इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं मौजूद हैं । हालांकि देश में कुल वाहन बिक्री में ईवी का हिस्सा सिर्फ छह प्रतिशत है। फिर भी बढ़ती रफ्तार से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस रफ़्तार को कायम रखने में सरकार की नीतियों का अहम रोल होगा। जानकारी के अनुसार जिन राज्यों में ईवी पर सब्सिडी के प्रावधान हैं, वहां ईवी बाजार बिना सब्सिडी वाले राज्यों की तुलना में दोगुनी तेजी से बढ़ा है।
इस बाजार को भुनाने और ईवी क्रांति के साथ जुड़ने में छोटे राज्य भी पीछे नहीं रहना चाहते। ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों ने अपनी ईवी नीति की बनाकर राज्य में निवेश को बढ़ावा देना का द्वार खोल दिया है।
ई वाहनों की ख़रीद बिक्री पर सब्सिडी, रोड टैक्स में छूट के साथ चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के जरिए ग्राहकों के साथ निवेशकों को भी लुभाया जा रहा है।झारखंड सरकार ने तो राज्य को पूर्वी भारत के सबसे बड़े ई वाहन निर्माता केंद्र के तौर पर स्थापित करने के लिए 1लाख करोड़ रुपए खर्च करने ,दो साल के भीतर उद्योग लगाने वाले को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर जमीन देने का वादा किया है।
राज्य सरकार ने सरायकेला खरसावां में इलेक्ट्रानिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना भी किया है जिसकी लागत 186 करोड़ रुपए है।
झारखंड सरकार का लक्ष्य 2026तक राज्य में ई वाहन की संख्या को 10प्रतिशत तक ले जाने का है। इससे निवेश का माहौल बनाने में मदद मिलेगी और देश में एक सकारात्मक संदेश जाएगा।

झारखण्ड सरकार की ईवी नीति 2022:

हेमंत सोरेन सरकार द्वारा तैयार की गई झारखंड इलेक्ट्रिक वाहन नीति के लोगों को इ-वाहन खरीदने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसके अनुसार अगर राज्य में कोई नया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदे तो उसे 1.5 लाख रुपये तक की प्रतिपूर्ति मिलेगी। इलेक्ट्रिक स्कूटर या बाइक की कीमत में 10,000 रुपये, इलेक्ट्रिक कार पर 30,000 रुपये और इलेक्ट्रिक बस पर 20 लाख रुपये तक की छूट दी जाएगी।सरकार ने रोड टैक्स में छूट का भी प्रावधान किया है। इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन को लेकर 50-60% सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है। राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने पर 2 करोड़ रुपये से 30 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी देने बात भी कही गयी है।

ईवीएस पर झारखंड कि भविष्य की योजनाएं :

झारखण्ड पूर्वी भारत के में इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादक हब के रूप में उभारना चाहता है। सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक राज्य में कुल वाहनों का 10 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन करने का है। वर्ष 2027 तक राज्य को उन्नत रासायनिक सेल बैटरी का उत्पादक बनाने और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित करने का है। सरकार ने इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टाटा, मारुती सुजुकी,ह्यूंदै मोटर और होंडा कार्स से राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग लगाने के लिए संपर्क किया है।

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